Monday, February 25, 2019

स्वछंद उड़ान -
साहस और निश्चय से भरी ।
कभी ढलती , कभी बढ़ती ..
जब जब हुई थकान - ली गहरी सांस और होठों पर मुस्कान,
क्यूंकि फिर से उड़नी थी - ऊँची उन्मुक्त उड़ान ।

भाग्य - कि पंख काटे नहीं  गए, उड़ने का मौका मिला !

इस मौके के साथ मिला, कृत्रिम उपहार -
सामाजिक स्याही से रंगा हुआ, नैतिक आवरण में लिपटा - एक डिब्बा ।

डिब्बा -- उड़नी है जिसमें.. स्वछंद उड़ान । 

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